अब चलना होगा

अब चलना होगा

अब चलना होगा । 

आशाओं की छाँव में परिश्रम की धूप में अब जलना होगा,

घर की दहलीज़ से ममता के आँचल से अब निकालना होगा । 

अब चलना होगा ।

तूफानों से यारी करके दीपक की तरह जलना होगा,

मातृभूमि का शीश उठाने खुद से खुद को अवगत कराने बढ़ाना होगा ।

अब चलना होगा । 

निरंतर प्रयास से प्रभु के आशीर्वाद से, 

मंजिल को पाने को पर्वत का शीश झुकाने को अब मचलना होगा ।

अब चलना होगा,

अब चलना होगा । 

                             अनिकांत राज़ मंडल


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